बंदूक छोड़ संविधान अपनाने वालों का मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया स्वागत

Chandu
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 बस्तर में नक्सल उन्मूलन की दिशा में ऐतिहासिक दिन




रायपुर । मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शुक्रवार को बस्तर में 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण को राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि जो युवा कभी माओवाद की झूठी विचारधारा में भटके थे, उन्होंने अब संविधान, लोकतंत्र और विकास की मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह दृश्य न केवल आत्मसमर्पण का क्षण है, बल्कि विश्वास, परिवर्तन और नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है। जिन युवाओं ने वर्षों तक हिंसा का मार्ग चुना था, उन्होंने आज अपने कंधों से बंदूक उतारकर संविधान को थामा है।

153 हथियारों के साथ 210 नक्सलियों का आत्मसमर्पण

राज्य शासन की “नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025”, “नियद नेल्ला नार योजना” और “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” जैसी योजनाएँ अब परिणाम दे रही हैं। इन्हीं नीतियों के प्रभाव से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोग बंदूक छोड़कर शासन की विश्वास और विकास की प्रतिज्ञा को स्वीकार कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह सिर्फ सरकार की सफलता नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के शांतिपूर्ण भविष्य का शिलान्यास है। हमारी सरकार आत्मसमर्पित युवाओं के पुनर्वास और उनके उज्जवल भविष्य के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है।

डबल इंजन सरकार का लक्ष्य – नक्सल मुक्त छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में राज्य नक्सलवाद से पूर्ण मुक्ति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा — “छत्तीसगढ़ अब शांति, विश्वास और विकास के नए युग की ओर अग्रसर है।”

‘पूना मारगेम’ कार्यक्रम के अंतर्गत ऐतिहासिक आत्मसमर्पण

राज्य शासन की व्यापक नीति और सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप बस्तर संभाग में 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया।
यह घटना लंबे समय से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर क्षेत्र में शांति की नई सुबह लेकर आई है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में चलाए जा रहे नक्सल उन्मूलन अभियान ने क्षेत्र में स्थायी शांति की नींव रखी है। पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों के संयुक्त प्रयासों से हिंसा की संस्कृति को संवाद और विकास की संस्कृति में बदला जा सका है।



इतिहास में पहली बार — वरिष्ठ माओवादी कैडरों का सामूहिक आत्मसमर्पण

यह पहली बार है जब नक्सल विरोधी अभियान के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ माओवादी कैडरों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है।
आत्मसमर्पण करने वालों में —


1 सेंट्रल कमेटी सदस्य (CCM)
4 DKSZC सदस्य
21 डिविजनल कमेटी सदस्य
61 ACM स्तर के कैडर
98 पार्टी सदस्य
22 पीएलजीए/आरपीसी सदस्य शामिल हैं।

कुल: 210 कैडर (111 महिला, 99 पुरुष)
इन सभी ने कुल 153 अत्याधुनिक हथियार, जिनमें AK-47, SLR, INSAS रायफल, LMG, कार्बाइन, BGL लांचर आदि शामिल हैं, शासन के समक्ष समर्पित किए।

मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी नेता

मुख्यधारा में लौटने वालों में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू, आरसीएम रतन एलम सहित कई वांछित और इनामी कैडर शामिल हैं।
इन सभी ने संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया।

मांझी-चालकी परंपरा से स्वागत, ‘वंदे मातरम’ की गूंज

कार्यक्रम का आयोजन जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में हुआ। आत्मसमर्पित कैडरों का स्वागत पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से किया गया।
उन्हें संविधान की प्रति और लाल गुलाब देकर सम्मानित किया गया।
मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा — “बस्तर की परंपरा सदैव प्रेम, सहअस्तित्व और शांति का संदेश देती रही है। जो साथी अब लौटे हैं, वे इस परंपरा को नई शक्ति देंगे।”
कार्यक्रम के अंत में सभी कैडरों ने संविधान की शपथ ली और ‘वंदे मातरम’ की गूंज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

पुनर्वास और आजीविका की नई राह

कार्यक्रम के दौरान पुलिस विभाग द्वारा आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास सहायता राशि, आवास और आजीविका योजनाओं की जानकारी दी गई।
राज्य शासन ने घोषणा की है कि इन युवाओं को स्वरोजगार, कौशल विकास और शिक्षा से जोड़ा जाएगा ताकि वे आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जी सकें ।




मुख्यमंत्री का संदेश

“यह केवल आत्मसमर्पण का क्षण नहीं, बल्कि बस्तर में शांति, विश्वास और विकास के नए युग का प्रारंभ है। हमारी सरकार इन युवाओं के पुनर्वास और उज्जवल भविष्य के लिए पूर्ण प्रतिबद्ध है।”


— विष्णु देव साय, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़


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